MAAHI

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गम का अँधेरा

*गम के अँधेरे में खो सी गई हूँ मैं*
     *किससे कहूँ, कैसे कहूँ*

      *तन्हाई के इस सफर में*
      *अकेले चल रही हूँ मैं*
     *किससे कहूँ, कैसे कहूँ*

   *बहुत तड़पाती है ये तन्हाई*
  *जी भर के रुलाती है ये तन्हाई*

*कोई नहीं समझता है इस दिल की बात*
   *आँखों से बयाँ करूँ तो कैसे करूँ*

   *गम के अँधेरे में खो सी गई हूँ मैं*
       *किससे कहूँ, कैसे कहूँ*

  *एक ख़ुशी की आश लेकर बैठी हूँ*
        *ठुंठने चलूँ तो कहाँ चलूँ*

      *वीरान हैं मेरे ख़्वाहिशों के घर* 
       *इसमें रंग भरूँ तो कैसे भरूँ*

     *गम के अँधेरे में खो सी गई हूँ मैं*
          *किससे कहूँ, कैसे कहूँ*


*माही*

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4 Comments

Shrishti pandey

10-Dec-2021 11:57 PM

Bahut badhiya mam

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Swati chourasia

05-Oct-2021 05:53 PM

Very nice

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Shalini Sharma

05-Oct-2021 04:48 PM

Nice

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MAAHI

06-Oct-2021 07:17 PM

Thankyou

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